Dearness Allowance (DA): महंगाई भत्ते (Dearness Allowance – DA) को वेतन के एक भाग के रूप में समझा जा सकता है, जोकि मूल वेतन का कुछ परसेंट होता है। इसका उद्देश्य मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) यानी महंगाई के प्रभाव को कम करना होता है।
यह एक जीवन-यापन लागत समायोजन भत्ता है, जोकि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के वर्तमान (जो अभी काम कर रहे हैं) और सेवानिवृत्त (जो रिटायर हो चुके हैं) दोनों सदस्यों को प्रदान करती है। मालूम हो कि यह भत्ता काफी पुराने समय से चला आ रहा है। ऐसे में अब आइए इससे जुड़े कुछ अन्य चीजों के बारे में जानते हैं।
महंगाई भत्ता क्या है? – What is Dearness Allowance?
दरअसल, महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) वेतन का एक भाग है, जोकि मूल वेतन का कुछ प्रतिशत होता है। इसका उद्देश्य इन्फ्लेशन के असर को कम करना है। यह भत्ता जीवन-यापन लागत समायोजन भत्ता है, जोकि सरकार अपने कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनरों को महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए देती है।
यह उन कर्मचारियों के मूल वेतन प्रतिशत का उपयोग करके तय किया जाता है। चूंकि यह सीधे तौर पर जीवन यापन की लागत से जुड़ा हुआ है। इसलिए यह अलग-अलग कर्मचारियों के लिए अलग-अलग होता है। यानी उनके स्थान के आधार पर इसका निर्धारण किया जाता है। साफ़ शब्दों में कहा जाए तो शहरी क्षेत्र, अर्ध-शहरी क्षेत्र या ग्रामीण क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) या डीए (DA) अलग-अलग होता है। इसे जोड़ने का फार्मूला हमने नीचे बताया है।
महंगाई भत्ते की गणना की जानकारी – Information regarding calculation of dearness allowance
महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) को सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद शुरू किया गया था। हालांकि साल 2006 के बाद इसकी गणना का फार्मूला बदल दिया गया था, जोकि कुछ इस प्रकार से है।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते की गणना का फार्मूला
महंगाई भत्ता % = ((पिछले 12 महीनों के लिए एआईसीपीआई (AICPI) (आधार वर्ष – 2001 = 100) का औसत -115.76)/115.76) *100
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते की गणना का फार्मूला
महंगाई भत्ता % = ((पिछले 3 महीनों के लिए AICPI (आधार वर्ष – 2001 = 100) का औसत -126.33)/126.33) *100
इसमें AICPI या एआईसीपीआई का मतलब अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी की मूल आय 40 हजार रुपये है और नवीनतम 4% वृद्धि के साथ उसका महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) प्रतिशत 38% है। इसका मतलब उस व्यक्ति का महंगाई भत्ता 15200 रुपये होगा। आपको यह भी बता दें कि महंगाई भत्ते में परिवर्तन किया गया है, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है।
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महंगाई भत्ते में हुई बढ़ोतरी – Increment in Dearness Allowance
मालूम हो कि हाल ही में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में 4% की बढ़ोतरी की गई है, जिससे यह 46% से बढ़कर 50% हो गया है। इसी तरह से केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत (डीआर) में 4% की बढ़ोतरी की गई है, जिससे यह भी 46% से बढ़कर 50% हो गया है। इसे इसी साल 1 जनवरी से लागू किया गया है।
महंगाई भत्ते में हुए नवीनतम परिवर्तन – Recent changes in dearness allowance
महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में हाल ही में हुआ सबसे बड़ा परिवर्तन इसमें 4% की बढ़ोतरी है। इससे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता 46% से बढ़कर 50% हो गया है। वहीं केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत भी 46% से बढ़कर 50% हो गया है।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) के 50 प्रतिशत तक पहुंचने पर सैलरी के अन्य भत्ते और घटक भी बढ़ेंगे, जिनमें दैनिक भत्ता, हाउस रेंट अलाउंस, ग्रेच्युटी सीलिंग, हॉस्टल सब्सिडी, ट्रांसफर पर टीए, बच्चों की शिक्षा भत्ता, चाइल्डकैअर के लिए विशेष भत्ता, और खुद के परिवहन के लिए माइलेज भत्ता शामिल हैं।
महंगाई भत्ते के प्रकार – Types of Dearness Allowance
अब तक आपने महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) से जुड़े कुछ सामान्य चीजों के बारे में जाना। अब आप इसके प्रकार के बारे में भी जान लीजिए। इसके कुल दो प्रकार होते हैं, औद्योगिक और परिवर्तनीय महंगाई भत्ता। इसकी जानकारी नीचे दी गई है।
औद्योगिक महंगाई भत्ता – Industrial Dearness Allowance
औद्योगिक महंगाई भत्ता या आईडीए केंद्र सरकार के पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों पर लागू होता है। पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए औद्योगिक महंगाई भत्ता उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार पर त्रैमासिक (हर तीसरे महीने होने वाला) आधार पर संशोधित किया जाता है। ताकि बढ़ती महंगाई के स्तर के प्रभाव को कम करने में मदद मिले।
परिवर्तनीय महंगाई भत्ता – Variable Dearness Allowance
परिवर्तनशील महंगाई भत्ता या वीडीए केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू होता है। इसे हर छह महीने में इन्फ्लेशन के बढ़ते स्तरों के असर को कम करने में मदद करने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार संशोधित किया जाता है। यह तीन अलग-अलग घटकों पर निर्भर है, जोकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (पहला), आधार सूचकांक (दूसरा) और भारत सरकार द्वारा तय की गई परिवर्तनीय डीए राशि (तीसरा) है।
महंगाई भत्ता गणना में वेतन आयोग की भूमिका – Role of Pay Commission in Dearness Allowance Calculation
वेतन आयोग के पास गुणन कारक की समीक्षा करने और उसमें बदलाव करने का अधिकार है। वेतन आयोग को वेतन के सभी अलग-अलग पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के वेतन का पुनर्मूल्यन करना आवश्यक है। अगले वेतन आयोग की रिपोर्ट में महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसके अलावा वेतन आयोगों को सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के मुआवजे का निर्धारण करने वाले सभी तत्वों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ता – Dearness Allowance for Pensioners
जब भी वेतन आयोग कोई नया मुआवज़ा ढांचा पेश करता है तो सार्वजनिक क्षेत्र के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन हर बार समायोजित की जाती है। महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) पर भी ऐसी ही परिस्थितियाँ लागू होती हैं। यानी जब भी इसमें एक निश्चित प्रतिशत की वृद्धि की जाती है, तो सेवानिवृत्त सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की पेंशन भी बदलाव के अनुरूप समायोजित हो जाती है। यह बात मानक पेंशन और पारिवारिक पेंशन दोनों के लिए अच्छा है।
बजट के तहत नए विकास के अनुसार महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी – Increase in dearness allowance as per new development under budget
सेंट्रल गवर्मेंट के ज़्यादातर कर्मचारियों को महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में बढ़ोतरी से काफी बड़ी राहत मिली है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की अगुवाई में इस कदम से 50 लाख से ज़्यादा केंद्र सरकार के कर्मचारियों और करीब 55 लाख पेंशनभोगियों को फ़ायदा मिलने वाला है।
साल 2018 में कराधान के क्षेत्र में बहुत सारे बदलाव हुए थे। नए बजट के साथ काफी प्रगति और विकास हुई। करीब 11 मिलियन से अधिक कर्मचारियों के लिए, महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) 5% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया। प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, यह 48.41 लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और 61.17 लाख पेंशनभोगियों और कर्मचारियों के पक्ष में काम करेगी।
डीए और एचआरए के बीच अंतर – Difference between DA and HRA
दरअसल, किसी सरकारी कर्मचारी का समग्र वेतन मूल आय, अन्य पहलुओं जैसे एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) और महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) को जोड़कर तय किया जाता है, जिसकी गणना आधार वेतन के निर्दिष्ट अनुपात के रूप में की जाती है।
एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस नियुक्तिकर्ता द्वारा अपने कर्मचारी को आवास के किराये से संबंधित खर्चों को पूरा करने के लिए दिए जाने वाला एक वेतन का भाग है, जोकि कर्मचारी आवासीय उद्देश्यों के लिए लेता है। यह निजी क्षेत्र के साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों पर भी लागू होता है। जबकि DA या महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) केवल मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों पर लागू होता है।
साफ शब्दों में कहा जाए तो महंगाई भत्ता (डीए) और हाउस रेंट अलाउंस ( एचआरए ) वेतन ढांचे के दो अलग-अलग भाग हैं, जोकि एक दूसरे से काफी अलग हैं। ऐसे में दोनों को एक दूसरे के साथ नहीं जोड़ना चाहिए। दोनों के बीच कुछ मुख्य अंतर इस प्रकार हैं।
- पात्रता – दरअसल, महंगाई भत्ता या डीए केवल सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए उपलब्ध होता है। जबकि हाउस रेंट अलाउंस या एचआरए सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए होता है।
- कर छूट – डीए में टैक्स पर कोई छूट उपलब्ध नहीं है। जबकि आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, एचआरए पर कुछ छूट मिलती है।
- गणना – महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) की गणना सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी के मूल वेतन के परसेंटेज के रूप में की जाती है। जबकि दूसरी साइड, एचआरए की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में नहीं होती है। यह कर्मचारी के वेतन का एक हिस्सा है, जो आवास किराये की जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है।
- उद्देश्य – महंगाई भत्ता एक जीवन-यापन लागत समायोजन है, जो सरकार द्वारा पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए दिया जाता है। जबकि दूसरी ओर, एचआरए का लक्ष्य किराये के आवास के भुगतान के लिए कर्मचारियों को उनके वेतन का एक हिस्सा प्रदान करके उनकी आवास आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करना है।
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महंगाई भत्ता विलय – Dearness Allowance Merger
साल 2006 से ही पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में लगातार वृद्धि हो रही है। मौजूदा समय में यह आंकड़ा मूल वेतन का 50 प्रतिशत हो गया है। नियमों के अनुसार, जब डीए 50% के स्तर को पार कर जाता है, तो उसे मूल वेतन में मिला दिया जाता है। इससे उनके वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। चूंकि वेतन के अन्य सभी घटकों की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में की जाती है।
महंगाई भत्ते को मूल वेतन में मिलाने की मांग सरकार के पास काफी समय से है। लेकिन अभी तक इसपर कोई कदम नहीं लिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल जल्द ही इस मामले पर फैसला लेगा। इस बीच, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारी डीए में विलय की उम्मीद से काफी खुश हैं। चूंकि ऐसा होने पर उनके वेतन में बड़ी बढ़ोतरी होगी।
निष्कर्ष
हमने अपने इस ब्लॉग के जरिए महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) से जुड़े ज्यादातर पहलुओं को कवर कर दिया है। ऐसे में उम्मीद है कि आपको इस ब्लॉग के जरिए काफी मदद मिलेगी। अगर आपको ऐसी ही अन्य चीजों की जानकारी लेनी है तो आप हमारे वेबसाइट के जरिए ले सकते हैं।
FAQs :
प्रश्न: DA का मतलब क्या होता है?
उत्तर: DA का अर्थ महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) है, जोकि मूल वेतन का कुछ परसेंट होता है। इसका उद्देश्य महंगाई के असर को कम करना है। यह भत्ता जीवन-यापन लागत समायोजन भत्ता है, जोकि सरकार अपने कर्मचारियों के साथ ही साथ पेंशनरों को महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए देती है।
प्रश्न: सैलरी में DA का फुल फॉर्म क्या है?
उत्तर: सैलरी में DA का फुल फॉर्म इन्फ्लेशन अलाउंस होता है। यानी महंगाई भत्ता (Dearness Allowance), जोकि सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए दिया जाता है।
प्रश्न: क्या डीए और एचआरए एक हैं?
उत्तर: डीए और एचआरए सैलेरी के दो भाग हैं। लेकिन दोनों एक दूसरे से अलग हैं। इसका अंतर हमने अपने इस ब्लॉग में बारीकी से समझाया है।